शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

वो........!!


कल सुबह जब जगा, थी मेरी आँखे भरी...,
इक निराशा सी थी, तम था छाया हुआ...
वजह थी कि  वेशक्ल ख़्वाबों मे थी...
जब ये आँखे खुली मै अकेला ही था.....
जब ये आँखे खुली, वो पराई ही थी.

दिल के दर्पण मे झाँका, थी मुकद्दर मेरी..
थोरी धुंधली सी थी, थोरी बिखरी हुई....
बेमुक्कील जमानो की सजिस थी कि....
सब अपने जो थे ... थे वो अपने नहीं...

दे के झूठी दिलासा वो साथ होने का....
जख्‍म पीछे मेरे वो मुकम्मल किया...
रख के कांधो पे सर उनके रोता रहा ....
बन के खंजर वो दिल पे बरसता रहा ..

अब वो कहती है ... अब तुम बदल सा गए...
हो नहीं  तुम अब वो... जो थे  पहले कभी..
अब कैसे बताऊँ हाल-ए-दिल उन्हें...
बात नज़रों का नहीं.. फर्क नजरिए का है...!!!
                         
                                           By:राहुल कुमार


रविवार, 16 अप्रैल 2017

Rahul kumar
New Delhi
8802969607






कल सुबह जब जगा, थी मेरी आँखे भरी...,
इक निराशा सी थी, तम था छाया हुआ...
वजह थी कि  वेशक्ल ख़्वाबों मे थी...
जब ये आँखे खुली मै अकेला ही था.....
जब ये आँखे खुली, वो पराई ही थी...



दिल के दर्पण मे झाँका, थी मुकद्दर मेरी..
थोरी धुंधली सी थी, थोरी बिखरी हुई..
इक ख्वाइस बची की सजा दे मुझे...
डोली ना ही सही, कंधो पे लिटा दे मुझे..



हो जाए गर दीदार अगले जन्मों मे तो..
मै ये माँगू खुदा दे ये रहमत मुझे....
शहजादा ना ही सही अब इस जन्म में तो क्या.....?
हूँ मै लाडला तेरा, अगले हर जन्‍म  मे...!!!!

सोमवार, 3 अप्रैल 2017

क्या खोया क्या पाया...

Rahul kumar
New delhi,
8802969607

हू मै खुशनसीब या बदनसिबो का  शहंशाह .... 
हू मै सरफरोश या जनजीरो में हू जकरा .... 
तमन्ना थी आसमनो में उड़ान भरने की..... 
ख्वाइशें हजार थी चाँद के उस पार जाने की.... 
हमसफ़र भी साथ थी  हमनवा भी खास था... 
उसकी बाहो का एहसास था, सारा जमाना अपने पास था.... 
पर लगी किसी की नज़र शायद ....आए पतझर बहार मे तब...... 
उज़रने लगी वदिया , टूटने लगी डलिया.....हो गई मुहर्रम..... ईदगाह में तब..... 
टूटे सपने... छूटे अपने... बीते लम्हे..... कोरे वादे ....हो गए तन्हा जहां मे तब... 
एक उम्मीद आखिरी बची है अब....... लूट जाऊ या छू जाऊ ...... 

कुछ कर जाऊ या मिट जाऊ...... आए बसंत बाहर में तब.....!