वो........!!
कल सुबह जब जगा, थी मेरी आँखे भरी...,
इक निराशा सी थी, तम था छाया हुआ...
वजह थी कि वेशक्ल ख़्वाबों मे थी...
जब ये आँखे खुली मै अकेला ही था.....
जब ये आँखे खुली, वो पराई ही थी.
दिल के दर्पण मे झाँका, थी मुकद्दर मेरी..
थोरी धुंधली सी थी, थोरी बिखरी हुई....
बेमुक्कील जमानो की सजिस थी कि....
सब अपने जो थे ... थे वो अपने नहीं...
दे के झूठी दिलासा वो साथ होने का....
जख्म पीछे मेरे वो मुकम्मल किया...
रख के कांधो पे सर उनके रोता रहा ....
बन के खंजर वो दिल पे बरसता रहा ..
अब वो कहती है ... अब तुम बदल सा गए...
हो नहीं तुम अब वो... जो थे पहले कभी..
अब कैसे बताऊँ हाल-ए-दिल उन्हें...
बात नज़रों का नहीं.. फर्क नजरिए का है...!!!
By:राहुल कुमार