रविवार, 16 अप्रैल 2017

Rahul kumar
New Delhi
8802969607






कल सुबह जब जगा, थी मेरी आँखे भरी...,
इक निराशा सी थी, तम था छाया हुआ...
वजह थी कि  वेशक्ल ख़्वाबों मे थी...
जब ये आँखे खुली मै अकेला ही था.....
जब ये आँखे खुली, वो पराई ही थी...



दिल के दर्पण मे झाँका, थी मुकद्दर मेरी..
थोरी धुंधली सी थी, थोरी बिखरी हुई..
इक ख्वाइस बची की सजा दे मुझे...
डोली ना ही सही, कंधो पे लिटा दे मुझे..



हो जाए गर दीदार अगले जन्मों मे तो..
मै ये माँगू खुदा दे ये रहमत मुझे....
शहजादा ना ही सही अब इस जन्म में तो क्या.....?
हूँ मै लाडला तेरा, अगले हर जन्‍म  मे...!!!!

2 टिप्पणियाँ:

यहां 16 अप्रैल 2017 को 11:13 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

Great sir

 
यहां 14 मई 2017 को 8:31 am बजे, Blogger Teaching WINDOW ने कहा…

Thanxxxxxxxxx......

 

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