शुक्रवार, 19 मई 2017

उसे अच्छा नहीं लगता....,! ,

ये खत है उस गुलदान के नाम, जिसका फूल कभी हमारा था.
वो जो अब तुम उसके मुख्तार हो तो सुन लो... उसे अच्छा नहीं लगता...
मेरी जान के हकदार हो तो सुन लो.. उसे अच्छा नहीं लगता..


कि वो जो कभी ज़ुल्फ बिखेड़े तो बिखड़ी ना समझना..
अगर जो माथे पे आ जाए तो बेफिक्री ना समझना...
दरअसल उसे ऐसे ही पसंद है...

उसकी खुली ज़ुलफो मे उसकी आज़ादी बंद है...
खुदा के वास्ते...
जानते हो वो जो हज़ार बार ज़ुलफे ना संवारें तो उसका गुज़ारा नहीं होता...
वैसे दिल बहुत साफ है उसका..... इसका कोई इशारा नहीं होता...
खुदा के वास्ते...
उसे कभी टोक ना देना...
उसकी आज़ादी से उसे रोक ना देना
क्यूकी अब मै नही तुम उसके दिलदार हो तो सुन लो...
उसे अच्छा नहीं लगता.....!!
By:zakir khan...! 

1 टिप्पणियाँ:

यहां 19 मई 2017 को 11:35 pm बजे, Blogger Unknown ने कहा…

nice lines bro

 

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