मंगलवार, 21 मार्च 2017

जिंदगी


कसम्कश मे जीने लगे है अब.....
पानी से प्यास बुझती नहीं..... कुछ और की आदत नहीं.....
या ख़ुदा हो जाऊ गर फना भी अब...... उनकी यादो मे ....
अश्क तो हो आँखो में ... पर सिसकिया सुनाई ना दे ...
क्यू ...?
फिकर इस बात का है ..... गर देख ले अश्क वो मेरी  आंखो में .....!
कही पलट ना आए मेरी बाहो मे ....
हो जाएगी बेवफ़ाई अपनो से..... Benakth बेमूअक्कील जमानो मे!......

1 टिप्पणियाँ:

यहां 25 मार्च 2017 को 12:31 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

Bulana hi h use to ...ro hi lo ek bar...😊

 

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