शुक्रवार, 24 मार्च 2017

पापा

Rahul kumar,
New Delhi,
8802969607

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चेहरे पे सूनापन.... आँखो में खालीपन.... गालो पे झुर्रियां.....सिकुरे ललाट..... सफेद बाल...आवाज़ में एक अजीब सी निरासा..... जिसके लिय मेरे पास शब्द नहीं है...... और अपनी हर बात को जोरदार बनाने के लिय थोरा गुस्से का मसाला..... सालो बीत गए मैंने उनके चेहरे पे हँसी नहीं देखी....... खुशी से ठहाके लगाते नहीं देखा मैंने अपने याद में ....... ऐसा लग रहा है कि जिम्मेदारियों का बोझ जिंदगी के हर रंग को धूमिल करता जा रहा है ....... जब कभी वो अकेले बैठे होते है.... तो अपने ही खयालो मे शून्य में खोए रहते है मानो कोई योगी अपने जिंदगी का सबसे बड़े तप मे लीन हो.... आज इस उम्र मे भला कौन  अपनी आजीबिका जुटाता है ....... जिस उम्र में लोग चारो धाम की यात्रा पर निकलते है..... उस उम्र में ये जिम्मेदारियों की आंच में अपने बाल सफेद कर रहे....... अजीब विडम्बना है ईश्वर की ......कोई जिंदगी जीने को मर रहा......... तो...... किसी के पास जिंदगी जीने का वक्त नहीं......!
लेकिन क्या ईश्वर है इन सब का जिम्मेदार...... या हम इंसानो ने ही बनाये ऐसे रिवाज.......... जो तोर देता बुढ़ापे का भी कमर.........! एक अंतिम ख्वाइस बची है अब.......ना हो कोई अब पिता लाचार...... मिले इन्हे सब सुख संसार.....बने सब कमर बुढ़ापे की..... . हर घर मे हो एक श्रवण कुमार......!

4 टिप्पणियाँ:

यहां 24 मार्च 2017 को 11:40 am बजे, Blogger Teaching WINDOW ने कहा…

हर मध्यम वर्गीय परिवार के पिता को समर्पित........

 
यहां 25 मार्च 2017 को 12:37 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

Kandho pe mere jab bojh bad jaate hain
Mere baba mujhe shiddat se yaad aate hain....

 
यहां 25 मार्च 2017 को 12:38 am बजे, Blogger Unknown ने कहा…

Rahul u guy fantastic yrr....😘

 
यहां 25 मार्च 2017 को 11:30 am बजे, Blogger Teaching WINDOW ने कहा…

Thanxx a lot

 

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