बुधवार, 5 जुलाई 2017

मै पत्थर था.. मूरत बनाया तूने..
इक अनकही अल्फाज़ को... ग़ज़ल बनाया तूने..
मै तो झोंका था अवारा हवा का...
सावन की फुहार... बसंती बयार बनाया तूने...!!
        Rahul@vats 

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