शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

मधुयामिनी

तन चंदन सा जुल्फ घटा सा..!
मै विषधर सा लिपट रहा था..!!
हमारे लव से लव मिले जब..!
अनंत सागर सिमट रहा था..!!
तन चंदन सा.........

थी सुर्ख आँखे.. हँसी लवो पे.. !!
चाँद सा मुखड़ा चमक रहा था.. !!
था कुल समर्पण भाव उनका...
स्नेह सिंधु सब बरस रहा था.. !! तन चंदन सा........


साँस से शोला.. तन से पयोदर...!
 मुख से सबनम बरस रहा था...!!
दंश सह के भी मुस्कुरा के....!
सर्वस्व अर्पण वो कर रहे थे... !! तन चंदन सा....


थी रात प्यारी पूर्णिमा की..
इंद्र घटा भी गरज़ रहा था..!!
था  माँह सावन बेकशी का...,!
दो जिस्म जाँ एक हो रहे थे...!! तन चंदन सा ..... !!
मै विषधर सा.......!!
                          rahul@vats 

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